उत्तराखंड की राजनीति में आम आदमी पार्टी की घुसपैठ से कांग्रेस और भाजपा असमंजस की स्थिति में पड़ गए हैं ।जिसका कारण है आम आदमी पार्टी के प्रति उत्तराखंड की जनता का बढ़ता रुझान। पिछले कुछ दिनों की अगर हम बात करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लगातार होने वाले उत्तराखंड दौरे पर जिस प्रकार से उत्तराखंड की जनता आम आदमी पार्टी के समर्थन में उतरी है, उसे देख कर राजनीतिक पार्टियों की बौखलाहट वाजिब है। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार मैं लगातार मुख्यमंत्रियों के बदलाव को लेकर कई तरह की कशमकश में उत्तराखंड की जनता भी है। वही कॉन्ग्रेस पार्टी इस फेरबदल को लेकर सत्ता मैं आने का भरसक प्रयास आगामी चुनाव के लिए कर रही थी कि अचानक आप के बढ़ते कदम ने राजनीति मैं एक उथल पुतुल सी मचा दी है। जिसके कारण जनता तो असमंजस में है ही लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिक पार्टियां भी अपनी रणनीतियां बनाने में लगी हैं कि इस स्थिति से किस प्रकार निकला जाए, और आगामी चुनाव में अपना वर्चस्व किस प्रकार से बनाया जाए, जिससे कि पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बन सके। उत्तराखंड की राजनीति में चल रही चहल कदमी अभी तीनों पार्टियों के बीच चल रही है। वहीं उत्तराखंड मैं लगातार हो रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री के दोरो ने अन्य पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। फिलहाल अभी कशमकश जारी है, अभी यह कुछ भी कह पाना वाजीब भी नहीं कि कौन सत्ता में आएगा और कौन नहीं ,किसकी सरकार बनेगी और किसकी गिरेगी ,क्योंकि यह आने वाले समीकरण ही तय करेंगे कौन सत्ता में रहेगा और कौन सत्ता से बाहर जाएगा। पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दाहिना हाथ कहे जाने वाले नरेश शर्मा के द्वारा भाजपा को छोड़ आम आदमी पार्टी दमन पकड़ने पर बड़ा झटका लगा है ।लंका में विभीषण की कहावत हमने सुनी है। जिसके कारण लंका का पतन हुआ। भाजपा के प्रति समर्पित रहने वाले और भाजपा पार्टी के गलियारों में चर्चाओं का विषय बने रहने वाले सक्स के अचानक भाजपा छोड़ने से कहीं ना कहीं नुकसान का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है ।आगामी 2022 के चुनाव को लेकर सभी पार्टियां रणनीतियां बना रही हैं और पुरजोर कोशिश कर रही हैं कि उन्हें जनता का समर्थन मिले। इसके लिए सभी पार्टियों में टिकट को लेकर भी उठापटक चल रही है। अभी आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन कहां से विजय होता है और कौन धराशाई।