महाकुम्भ 2021 में वो अद्भुत चीजे और विभूतिया नजर आ रही हैं जिन्हे हम अपनी जिंदगी में नहीं देख पते हैं वो चाहे कोई तपस्वी संत महापुरष हो या कुछ अनोखे तप वाले तपस्वी या कुछ ऐसा की जो आज तक अपने सिर्फ सुना हैं देखा नहीं , ऐसा ही एक अजूबा इन दिनों महाकुम्भ हरिद्वार में जूना अखाड़े में ए हुए संत लेकर आये हैं वो अद्भुत चीज हैं राम नाम लिखा हुआ राम सेतु का पत्थर आपको बतादे की राम की वानर सेना द्वारा बनाया गया रामसेतु पुल आज के समय में भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक श्रृंखला है.

यदि वैज्ञानिकों की मानें, तो कहा जा है कि एक समय था जब यह पुल भारत तथा श्रीलंका को भू-मार्ग से आपस में जोड़ता था ,कहा जाता है कि निर्माण करने के बाद इस पुल की लम्बाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 3 किलोमीटर थी. आज के समय में भारत तथा श्रीलंका के इस भाग का पानी इतना गहरा है कि यहां यातायात साधन बिलकुल बंद है, लेकिन फिर भी उस समय भगवान राम ने इस स्थान पर एक पुल बनाया था.

धार्मिक इतिहास पर गौर करें तो मान्यता है कि भगवान राम ने माता सीता को लाने के लिए बीच रास्ते आने वाले इस समुद्र को अपने तीर से सूखा कर देने का सोचा लेकिन तभी समुद्र से आवाज आई. समुद्र देवता बोले, “हे प्रभु, आप अपनी वानर सेना की मदद से मेरे ऊपर पत्थरों का एक पुल बनाएं. मैं इन सभी पत्थरों का वजन सम्भाल लूंगा.” इसके बाद पूरी वानर सेना तरह-तरह के पत्ते, झाड़ तथा पत्थर एकत्रित करने लगी. पत्थरों को एक कतार में किस तरह से रखकर एक मजबूत पुल बनाया जाए इस पर ढेरों योजनाएं भी बनाई गईं.

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार रामसेतु पुल को 1 करोड़ वानरों द्वारा केवल 5 दिन में तैयार किया गया था. लेकिन इस पुल पर रखे पत्थर और उनका बिना किसी वैज्ञानिक रूप से जुड़ना आज तक हर किसी के जहन का सवाल बना हुआ है.

रमायण के अनुसार रामसेतु पुल को दो अहम किरदारों नल एवं नील की मदद से बनाया गया था. कहा गया है कि उनके स्पर्श से कोई भी पत्थर इस समुद्र में डूबता नहीं था. इन पत्थरों को रामेश्वर में आई सुनामी के दौरान समुद्र किनारे देखा गया था और आपको जानकर यह अचंभा होगा कि आज भी पानी में डालने पर यह पत्थर डूबते नहीं हैं.हरिद्वार के महाकुम्भ 2021 में इस राम सेतु के पत्थर को देखने वालो की भीड़ का जमावड़ा हर समय यहाँ लगा रहता हैं.

 

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