हरिद्वार, 22 नवम्बर। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और यदि हम झूठे विज्ञापन या प्रोपेगेंडा करें तो हम पर करोड़ों का जुर्माना लगायें या हमें फॉसी की सजा भी दे तो हमें आपत्ति नहीं होगी। लेकिन हम झूठा प्रचार नहीं कर रहे है। योगायुर्वेद, नेचरोपैथी, पंचकर्म, षट्कर्म की सैकडों थैरेपी, उपवास व उपासना पद्धति के इंटीग्रेटिड ट्रीटमेंट से हमने लाखों लोगों को रोगमुक्त किया है। बीपी, शुगर, थायराइड, अस्थमा, आर्थराइटिस व मोटापा से लेकर लीवर, किडनी फेल्यिर व कैंसर जैसे प्राणघातक रोगों से हमने हजारों लोगों को मुक्त किया। इसका एक करोड़ से अधिक लोगों का डेटा बेस, रियल वर्ल्ड एविडेंस व क्लिनिकल एविडेंस हमारे पास है।

हमारे पास ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट व सनातन ज्ञान परम्पर पर शोध करने के लिए विश्व का श्रेष्ठतम रिसर्च सेन्टर, पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन है। जहां सैकड़ों वर्ल्ड रिनाउण्ड साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं तथा 3,000 से अधिक रिसर्च प्रोटोकोल फोलो करके 500 रिसर्च पेपर वर्ल्ड के टॉप रिसर्च जनरल्स में पब्लिश हो चुके हैं।

मैडिकल सेक्टर के कुछ हठी, दुराग्रही व योगायुर्वेद व नेचरोपैथी का विरोध करने वाले तथाकथित कुंठित डॉक्टरों को बहुत बड़ी समस्या है। यह सत्य है कि सिंथेटिक दवाओं से रोगों को कन्ट्रोल तो कर सकते हैं लेकिन क्योर नहीं कर सकते। लेकिन एलोपैथी की ये समस्या योग-आयुर्वेद के लिए समस्या नहीं है। मेडिकल फील्ड में नकली पेसमेकर लगाने वाले, किडनी चोरी करने वाले, गैर-जरूरी दवा व अंधाधुंध टैस्ट कराकर जो मेडिकल क्राइम कर रहे हैं, उनको हमने कई बार मेडिकल माफिया/ड्रग माफिया कहा था, इससे लडाई हुई है। मेडिकल साइंस में जो अच्छे डॉक्टर्स हैं तथा जो लाइफ सेविंग ड्रग्स, इमरजेंसी ट्रीटमेंट व जरुरी सर्जरी है हम उसका पहले भी सम्मान करते थे, आज भी सम्मान करते हैं।साथ ही एलोपैथी से भी एडवांस ट्रीटमेंट जो हमने वेदों आयुर्वेद के महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत व महर्षि धनवन्तरि, पतंजलि से प्राप्त किया है, उसको वैज्ञानिकता व प्रमाणिकता से व्यापार के लिए नहीं, उपचार व उपकार की भावना से आगे बढ़ा रहे हैं व बढ़ाते रहेंगे।जरूरी पड़ने पर हम कोर्ट व मीडिया के समाने सारे तथ्य व प्रमाण भी रखने के लिए तैयार हैं।

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