हरिद्वार। आज दिनांक 16 नवंबर 2023 को मातृ सदन में सुबह लगभग 7 बजे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज का आगमन हुआ । उन्होनें सर्वप्रथम ब्रह्मलीन स्वामी निगमानंद सरस्वती जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए जिसके बाद उन्होनें पूज्य गुरूदेव स्वामी  शिवानंद जी महाराज के समक्ष गंगा नदी के अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जीवित करने की बात कहीं ।

करीब आधे घंटे चले इस भेंट में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह जी समेत विश्व तीर्थ बचाओ अभियान के सदस्य भी मौजूद रहे । इसके बाद पूज्य शंकराचार्य जी ज्योतिर्मठ के लिए प्रस्थान किये । इसके पश्चात विश्व तीर्थ बचाओ अभियान दल, जिसमें दुनिया के सभी महाद्वीपों से आए 12 देश के प्रतिभागियों ने अपनी विभिन्न मान्यताओं व परंपराओं के अनुसार मातृ सदन में गंगा की पूजा अर्चना की । मातृ सदन में बहती गंगा के सामने विश्व की कई पवित्र नदियों का जल एक बर्तन में लाया गया और उनमें गंगा जल मिलाया गया, जो इस बात का प्रतीक है कि सभी नदियों को गंगा का आशीर्वाद मिला और वे पुनर्जीवित हो जाएं।

कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चा में यह प्रतिपादित हुआ कि दुनिया के विभिन्न देशों में पर्यावरण और नदियों को लेकर जो मान्यताएं हैं, उनमें बहुत समानता है । उनके द्वारा प्रकृति को समर्पित करते हुए जो कर्मकांड इत्यादि भी किये जाते हैं, उनमें भी भारतीय आध्यात्म की झलक और प्रकृति के प्रति प्रेम की एकरसता देखने को मिली । जिस प्रकार भारतीय परंपरा में वट, पीपल, बेलपत्र इत्यादि से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है, ठीक उसी प्रकार दक्षिण अमेरिका के एंडीज़ पर्वत से लाए गए कोका पौधे की पवित्र पत्तियों को एक टेनेन्टिन (एक विशेष कपड़ा) के अंदर लपेटा गया और सभी उपस्थितों द्वारा फूंक मारकर अपनी प्राणिक ऊर्जा को आपस में प्रसारित किया गया, जो औपचारिक रूप से यह निर्धारित करता है कि संपूर्ण विश्व एक प्राण से बना है, जो मानवता की एकता को दर्शाता है । इस अनुष्ठान के पश्चात सभी नदियों के जल व इन वनस्पतियों को गंगा में प्रवाहित किया गया।

इसके पश्चात पूज्यपाद गुरूदेव स्वामी  शिवानंद जी महाराज का सम्बोधन हुआ जिसमें उन्होंने जीवन के मूल को जानने के लिए संतों के पास जाकर धर्म के मूल तत्व को समझने की बात कही । उन्होनें कहा कि यदि कहीं अग्नि की एक चिंगारी भी मौजूद है, और उसके संपर्क में सूखे पत्ते आते हैं, तो अपने आप वो आग पकड़ लेगी । ठीक उसी प्रकार कोई साधक जब सदगुरू के संपर्क में आता है तभी जीवन में ज्ञान रूपी प्रकाश संभव है, अन्यथा नहीं। पूज्य  गुरूदेव ने कहा की सभी धर्म और मान्यताओं का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन साथ में हमें इस बात का भी कभी विस्मरण न हो कि इन सबका उद्देश्य अपने आत्म स्वरूप को जानना है । समारोह के दौरान प्रतिभागियों ने पूज्यपाद  गुरूदेव के समक्ष विश्व की व्यापक समस्याओं को लेकर प्रश्न किये, जिसमें जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, तीर्थों का ह्रास, मानवीय मूल्यों का ह्रास इत्यादि शामिल थे । सभी प्रतिभागियों को उनके प्रश्नों के समुचित उत्तर दिए गए ।

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