निरंजनी अखाड़े की छावनी मे विज्ञानानन्द गिरि ,साध्वी पुष्पांजलि गिरि का पट्टा अभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि से किया गया विभुषित
प्रयागराज, महाकुम्भ मे निरंजनी अखाड़े की छावनी में निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशा नन्द गिरी महाराज की अध्यक्षता और पंच परमेश्वरो एवं संत महापुरुषों के सानिध्य मे स्वामी विज्ञानानन्द गिरि, (ओस्ट्रेलिया) और साध्वी पुष्पांजलि गिरि, (वृंदावन )का पट्टा अभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि से विभुषित किया गया हैं।
निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशा नन्द गिरि महाराज ने कहा की संत का आध्यात्मिक जीवन साधना, आत्मज्ञान और सेवा से परिपूर्ण होता है। संत अपने जीवन में परमात्मा के साथ एक गहरी और सच्ची एकता स्थापित करने का प्रयास करते हैं। उनके जीवन में भक्ति, ध्यान, साधना और ध्यान की महिमा होती है। वे अपने व्यवहार, सोच और कर्मों में हर किसी के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं।
अखिल भारतीय अखाडा परिषद एवं माँ मनसा देवी मन्दिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी महाराज ने अपने सम्बोधन के दौरान कहा की दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा कों मदर टेरिसा की तरह मदर ऋतम्भरा के नाम से जाना जाये।उन्होंने कहा की सनातन धर्म में आस्था (श्रद्धा) का अत्यधिक महत्व है क्योंकि आस्था, केवल विश्वास का नाम नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा के स्तर पर होने वाली एक गहरी अनुभूति और समर्पण का प्रतीक होती है।
आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालका नन्द गिरि महाराज ने कहा की अखाड़े के आचार्य, अखाड़े के पंच परमेश्वरों और संत महापुरुषों के सानिध्य में हुआ पट्टा अभिषेक एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक अवसर होता है। इस आयोजन में विशेष रूप से अखाड़े के प्रमुख संतों और आचार्यों द्वारा आधिकारिक रूप से संत को उनके तप, समर्पण और धर्म के प्रति उनके निष्ठा के लिए पट्टा (दीक्षा) प्रदान किया जाता है। यह एक गहन आध्यात्मिक प्रक्रिया होती है, जिसमें संत महापुरुषों को एक नई पहचान मिलती है और वह समाज में एक महामंडलेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित होता है।
नव नियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द गिरि और महामंडलेश्वर स्वामी साध्वी पुष्पांजलि गिरी ने कहा कि जो पद हमें दिया गया है हम अपने पद की गरिमा और जिम्मेदारियां को पूरी निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाएंगे।इस अवसर पर अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी निरंजन ज्योति, महंत ओमकार गिरी, महंत राधे गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी महेश नन्द, महंत दिनेश गिरी, महंत दर्शन भारती, महामंडलेश्वर स्वामी अनपूर्णा भारती, श्री महंत राधे गिरी, मा. म. स्वामी मीरा गिरी, मा. म. स्वामी प्रेमानन्द पुरी (अर्जी वाले हनुमान जी उज्जैन), मा. म. स्वामी अनंतानंता नन्द, मा. म स्वामी आदि योगी पुरी,महंत दिनेश गिरी, महंत राकेश गिरी, महंत राज गिरी,आदि के सँग अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।