हरिद्वार। श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी के अंतरराष्ट्रीय संत एवं शिवोपासना संस्थान, डरबन साउथ अफ्रीका व शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट हरिद्वार के संस्थापक स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। स्मार्त और वैष्णव दोनों ही अलग दिन में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। ऐसे में इस वर्ष भी आगामी 6 और 7 सितंबर 2023 को दोनों दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
गृहस्थ जीवन जीवन वाले, स्मार्त 6 सितंबर और बैरागी, संन्यासी वैष्णव संप्रदाय 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे। स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 6 सितंबर को भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि यानी 12 बजे रात को मथुरा में कंस की कारागार में देवकी के गर्भ से हुआ था। वहीं कंस से कृष्ण को बचाने के लिए वासुदेव ने रात में ही कृष्ण को गोकुल में नंद के घर पहुंचा दिया। मतलब गोकुल वालों को मथुरा वालों से एक दिन बाद श्रीकृष्ण के जन्म का ज्ञान हुआ। उसी समय से भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव दो दिन मनाने की परंपरा चली आ रही है।
वहीं ज्योतिष में तिथियों की गणना में भेद होने के चलते भी दो दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल पूरे देश में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।