33 देशों के 135 छात्र छात्राएं जोकि विभिन्न देशों से पढ़ने के लिए भारत आए हुए हैं के लिए, “अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद” द्वारा 24 फरवरी से 26 फरवरी के बीच ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय विरासत यात्रा “चलो भारत को समझें” आयोजित हुई। कार्यक्रम समापन की रात्रि के दिन भारतीय कला संस्कृति को समझाने और दिखाने के लिए हरिद्वार की सांस्कृतिक समिति इमैक को चुना गया। इमैक समिति के कलाकारों ने भारतीय संस्कृति की विधा कथक नृत्य, गढ़वाली नृत्य, गंगा अवतरण, गंगा गीत भजन और सुगम संगीत के माध्यम से विदेशी छात्र छात्राओं के लिए बेहतरीन प्रस्तुतियां प्रदर्शित की। समिति की युवा टीम की वैष्णवी झा द्वारा तैयार समिति के कलाकारों ने मनमोहक रूप से नृत्य नाटिका के माध्यम से गंगा अवतरण की प्रस्तुति दी जिसमे नृत्य कला के माध्यम से दिखाया गया कि किस प्रकार धरती पर गंगा अवतरित हुई। विदेशी छात्र छात्राओं ने नृत्य नाटिका को बहुत पसंद किया। युवा टीम की ही अनन्या भटनागर द्वारा गाये गीत “मानो तो मैं गंगा मां हूं, ना मानो तो बहता पानी” गंगा गीत और “नमो नमो जी शंकरा” को सुनकर छात्र मंत्रमुग्ध हो गए।

हरिद्वार की पारंगत नृत्य अध्यापिका दीपमाला शर्मा द्वारा कोरियोग्राफ किया उत्तराखंड का गढ़वाली नृत्य जिसमें शिव शंभू और नंदा राजजात यात्रा को बेहतरीन और मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया। जिसको सुनने और देखने के बाद विदेशी छात्र छात्राएं अपने कदमों को रोक नहीं सके और खड़े होकर गढ़वाली गीत के साथ-साथ नृत्य करते-करते मंच तक आ गए, इस प्रस्तुति ने उनको झूमने और नाचने के लिए मजबूर कर दिया। इमैक समिति के अध्यक्ष आशीष कुमार झा ने “मैं गीतों से तुमको जरा छू रहा हूं, मैं प्यासा हूं सावन से मिलने चला हूं” पंक्तियों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध किया। वैष्णवी झा द्वारा देशभक्ति की नाटिका और कथक नृत्य देख सभी भावविभोर हुए। दीपमाला शर्मा की शिष्या अनवि सिंह द्वारा भी कत्थक नृत्य की प्रस्तुति हुई जिसका सभी छात्र छात्राओं ने भरपूर आनंद लिया।

इस आयोजन में विदेशी बच्चों ने भी अपनी प्रस्तुति दी जिनमे कजाकिस्तान की झुल्दुस ने ‘अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम’ भजन, उज़्बेकिस्तान के बेगजोद ने संस्कृत में शिव स्त्रोत, नाइजीरिया के वज़ीर और बांग्लादेश के राजा ने हिंदी फिल्मी गीत ‘ जिंदगी एक सफर है सुहाना’ प्रस्तुत किया जिसका आनंद सभी ने लिया।

इमैक समिति द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की संध्या में छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रशंसा और खुशी का इजहार झूम कर किया। उनकी खुशी और उनकी ऊर्जा को देख कर लग रहा था जैसे यह रात भी इस कार्यक्रम के लिए कम पड़ रही है। समिति के अध्यक्ष आशीष कुमार झा ने बताया की भारतीय विरासत से सरोबार भारत एक संस्कृति एवं विरासत प्रधान देश हैं और पूरी दुनिया मे अपनी संस्कृति तथा विरासतो के लिए प्रसिद्ध हैं। यही वजह हैं, जिनकी वजह से सारा विश्व हमें एक अलग ही नजरिए से देखता हैं। भारत जैसा विविधतापूर्ण देश अपनी संस्कृति की बहुलता का प्रतीक भी है। भारत में गीतों, संगीत, नृत्य, रंगमंच, लोक परंपराओं, प्रदर्शन कलाओं, संस्कारों और अनुष्ठानों, चित्रों और लेखन का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसे मानवता की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में जाना जाता है। उन्होने कहा कि देवों की इस पावन भूमि ऋषिकेश में पावन गंगा के तट पर जोकि भारत की एक विरासत हैं और भारत एक हिन्दू राष्ट्र हैं जोकि सारे देशों को अपना साथी मान कर साथ लेकर चलता हैं।

समिति की कलाकार टीम में आस्था गोयल, आशु वर्मा, स्नेहा खुराना, आयुष डंगवाल, आशीष कटारिया, आरती राजपुत, दीपिका राजपुत, कुणाल वर्मा, अंशिका शुक्ला, स्वीमन कांबोज, ख्याति अमोली, रिया शर्मा, संस्कृति पंवार, आकृति कौशिक, प्रियांशी जोशी, समीक्षा राजवंश, मिनाहिल अंसारी, प्राकृतिक पंवार और मानव शर्मा सम्मिलित थे।अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद से भास्कर बिक्रम चेतिया और आशुतोष कुमार झा के साथ संस्कार भारती के राकेश मालवीय, डॉ० अर्जुन नागियान और अमित गुप्ता के सहयोग से ये कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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