नियमावली के अनुसार आरक्षी से मुख्य आरक्षी के पद जो समूह, ग का पद है पर विभागीय प्रमोशन हेतु 50% विभागीय परीक्षा के माध्यम से एवं 50% वरिष्ठता के माध्यम से प्रमोशन का नियम है ठीक इसके विपरीत उप निरीक्षक से निरीक्षक के पदों पर जो समूह , ग के पदों के अंतर्गत ही आता है उसमें विभागीय प्रमोशन की प्रक्रिया सत प्रतिशत वरिष्ठता के आधार पर रखी गई है जोकि एक ही समूह ग के पद होने के कारण इसमें समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जबकि मुख्य आरक्षी एवं निरीक्षक दोनों ही पूर्णता विभागीय पद है एवं समूह ग , के अंतर्गत आते हैंऐसे में दोनों में अलग-अलग नियम के अनुसार विभागीय प्रमोशन देना समानता का अधिकार का खुला उल्लंघन किया गया है।

सेवा निवाली के अनुसार मुख्य आरक्षी से उप निरीक्षक के पद पर प्रमोशन हेतु जो नियम बनाए गए हैं वह इस प्रकार है कुल पदों का 34% सीधी भर्ती के माध्यम से, 33 प्रतिशत विभागीय रैंकर परीक्षा के माध्यम से, एवं 33% पदों पर ही वरिष्ठता के माध्यम से प्रमोशन प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है याचिकाकर्ता का कहना है कि 33% विभागीय रैंकर परीक्षा को समाप्त करते हुए वरिष्ठता के आधार पर ही भरा जाए जैसा कि अन्य उच्च पदों पर विभाग द्वारा किया जाता है क्योंकि पुलिस विभाग द्वारा उप निरीक्षक से निरीक्षक एवं निरीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक से पुलिस अधीक्षक तक के पदों पर केवल वरिष्ठता के माध्यम से ही प्रमोशन प्रक्रिया अमल में लाई जाती है तो ऐसे में एक ही विभाग में कार्यरत निचले स्तर के कर्मचारियों को प्रमोशन हेतु विभागीय परीक्षा से क्यों गुजरना पड़ता है यह समानता का अधिकार का खुला उल्लंघन है

याचिकाकर्ता का कथन है कि पुलिस विभाग में आरक्षी एवं मुख्य आरक्षी के लिए प्रमोशन पाने हेतु काफी जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है रही है एवं विभाग में भर्ती होने के बाद प्रमोशन हेतु वरिष्ठा को नाम मात्र स्थान दिया जाता है उन्हें प्रमोशन हेतु कठिन प्रक्रिया व विभागीय रैंकर परीक्षा को पास करना तत्पश्चात दौड़ को पास करना अनिवार्य किया गया है जबकि ठीक इसके विपरीत उप निरीक्षक से निरीक्षक व अन्य उच्च पदों पर केवल वरिष्ठता के माध्यम से ही शत प्रतिशत विभागीय प्रमोशन देने के नियम है याचिकाकर्ता का कथन है कि एक विभाग में एक समान विभागीय प्रमोशन प्रक्रिया का नियम होना चाहिए इसके अलावा नियमावली में अनेक ऐसे नियम बनाए गए हैं जो एक ही पद पर प्रमोशन देने में भेदभाव करते हैं वह समानता का खुला उल्लंघन है इसी सब बातों को लेकर माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में रिट दाखिल की गई है।

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