पितरो का पखवाडा आज से शुरू हो गया हें मन्येता  हें की इन दिनों में पितृलोक से पितृ 15 दिनों तक धरती पर ही निवास करते हैं, साथ ही अपनों से मिलने और उन्हें देखने आते हैं। अमावस्या के दिन सभी पितृ पितृलोक के लिए वापस चले जाते हैं। माना जाता है कि जब पितृ खुश हो जाते हैं तो परिवार में किसी भी प्रकार की दिक्कत या परेशानी नहीं रहती।मान्यता के अनुसार श्रद्धा द्वारा किया गया अपने पितरों को नियमित कार्य सीधा पितरो को प्राप्त होता हें जिसे आम भाषा में श्राद्ध कहा जाता है, अगर आप अपनी आंखों से दो आंसू भी अपने पितरों के निमित्त निकाल देते हैं तो पितृ उसी से ही त्रप्त हो जाते हैं। पित्रों के तर्पण और पिंड दान करने का हरिद्वार में विशेष स्थान हैं, उसमें हर की पौड़ी, कुशा घाट, कनखल और नारायणी शिला इन स्थानों पर पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है, क्योंकि हरिद्वार हरि का द्वार है और हरिद्वार में भगवान विष्णु और महादेव दोनों ही निवास करते हैं। इसलिए हरिद्वार में किया गया अपने पितरों के लिए कोई भी कार्य किया जाए तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके पितृ जिस भी योनि में होते हैं वह तृप्त हो जाते हैं।

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