रोशनाबाद 3 अगस्त हरिद्वार दिहाड़ी मज़दूरों के सामने अपने परिवारों के पेट भरने का सवाल खड़ा हो गया है l जिन कंपनियों में प्रति दिन सैकड़ो दिहाड़ी मज़दूरों को काम मिला करता था आज वें बेरोजगार हो गए हैं, कम्पनियाँ उन्हें कोविड जाँच की निगेटिव रिपोर्ट ओर वेक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद ही काम पर रखने की बात कह रहीं हैं !

सिडकुल के लेबर चौक पर प्रति दिन आसपास के गाँव रोशनबाद, हेत्तमपुर, सलेमपुर, औरंगाबाद आदि से हर दिन सैकड़ो दिहाड़ी मज़दूर एकत्रित होते हैं जहाँ से जरुरत के हिसाब से कम्पनियाँ उन्हें काम पर बुला लेती थी , काम के बाद मिलने वाली दिहाड़ी से वें अपने परिवार को दो जून का पेट भरने का सामान बाजार से खरीद कर अपने परिवार का पेट भरते थे l परन्तु कोरोना के कारण ऐसे मज़दूरों को दोहरी मार झेलनी पड़ रहीं हैं एक़ तो उन्हें वेक्सीन के लिए सेंटरो पर भीड़ के कारण वेक्सीन नहीं लग पा रहीं हैं ओर दूसरी ओर वेक्सीन लगवाने के दो तीन दिन अस्वस्थ रहने से उनकी दिहाड़ी भी नहीं लग पा रहीं है!

आज लेबर चौक पर ऐसे सेंकड़ो मज़दूरों ने कंपनियों जे खिलाफ जोरदार पर्दशन किया ओर उन्हें सरकार द्वारा आर. टी. आई. में डी गई सूचना का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने आर. टी. आई. में मांगी गई सूचना में बताया है कि वेक्सीन न लगवाने वालों के साथ सौतेला व्यवहार नहीं किया जा सकता ओर न ही उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली किसी भी सुविधाएं से वंचित रखा जा सकता है l ऐसे में कंपनियों में उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है!

मज़दूरों ने प्रशासन, सरकार से मांग कि है कि उन्हें पहले के समान ही सिडकुल कि कंपनियों में दिहाड़ी पर रखा जाए , वे समय मिलने पर वेक्सीनेश भी करा लेगे, लेकिन उन पर वेक्सीनेश न लगवाने की बाध्यता न थोपी जाए ,मज़दूरों ने अवर सचिव ओर सीपीआइओ भारत सरकार के द्वारा झारखण्ड राज्य के अनुराग सिंह के उस पत्र को दिखाते हुए कहा कि भारत सरकार ने वेक्सीन को स्वैच्छिक बताया है न कि अनिवार्य!

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