रुड़की/मनव्वर क़ुरैशी।रुड़की नवयुवक शेरू मलिक को किसी पहचान की जरूरत नही अपने वालिद अब्दुल मलिक साहब से मिली विरासत में पहचान ही सबसे बड़ी पहचान है।मैं तो चला था अकेले राहे मंजिल। साथी मिलते गए कारवाँ बनता गया। शेरू मलिक के हौसले बुलंद कौम के लिए कुछ कर गुजरने वाला नवयुवक इस समय खूब वाहवाही लूट रहा है और लोगो मे इनके द्वारा कराए जा रहे जनहित कार्य लोगो मे चर्चा बना हुआ है।लोगो को कहता सुना गया है कि बिना किसी पद के हर समय शासन,प्रशासन से कोई भी कार्य हो कराने में सक्षम है।प्रति दिन दो चार कार्य जनता के आते है जिनका समाधान इस नव युवक समाजसेवी द्वारा तुरन्त समाधान कराया जा रहा है।क्योंकि इस वार्ड की बदकिस्मती ही कही जाएगी कि जो जनता ने ऐसा पार्षद चुनी है जिसको किसी प्रकार का कोई राजनीति से दूर दूर का भी रिश्ता नही है।और जो अपने कार्य भी दूसरों से कराता हो तो वो जनता का क्या भला कर सकता है।ये तो समय रहते नवयुवक समाजसेवी शेरू मलिक ने गरीब, मजलुमो बेसहारा लोगो की परेशानी को देखते हुए उनका सहारा बनकर उनके दुख दर्द में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए है।और बिना किसी भेद भाव के जनहित के कार्यो में अपना पूरा योगदान देकर जनता की सेवा में लगे हुए है। महिग्रान में कोई भी ऐसा जनप्रतिनिधि नही है जो जनता के जरूरी मुद्दों का समाधान कर उनको उनका हक दिला सके।लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली की जनता की सेवा लिए अलाह ने शेरू मलिक जैसे होनहार को इनकी सेवा के ला खड़ा किया है।जिसका कोई नही उसका खुदा है यारो ये सब अलाह ही का करिश्मा है।(बाकी अगले लेख में प्रकाशित किया जाएगा) जागो जनता जागो दलालो को भगाओ।अपनो को पहचानो।लेखक पत्रकार मनव्वर क़ुरैशी जनहित मुद्दों के स्पेशलिस्ट।
error: Content is protected !!