रिपोर्ट : मनव्वर कुरैशी
पिरान कलियर/पिरान कलियर के रहमतपुर गांव में आज सुबह का नज़ारा ऐसा था जैसे सड़कों पर मौत दौड़ रही हो। तेज़ रफ्तार से सरपट भागते डंपर किसी अनहोनी की दस्तक दे रहे थे। अगर कोई राहगीर उनकी चपेट में आ जाता, तो शायद आज यह खबर किसी बड़ी त्रासदी का रूप ले लेती।
धूल के बादलों में लिपटी सड़कें, दहशत में खड़े दुकानदार, और हर गुजरने वाले के चेहरे पर डर का साया। आखिरकार, स्थानीय दुकानदारों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने इन बेलगाम डंपरों को रोक लिया और ज़ोरदार मांग उठाई—कम से कम समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाए ताकि उड़ती धूल से बचा जा सके।
लेकिन असली खौफ तब सामने आया जब खनन माफियाओं ने अपनी मंशा साफ कर दी—“जो करना है कर लो, हमारी रफ्तार नहीं रुकेगी!” न पुलिस का डर, न प्रशासन का खौफ। सड़कें उनकी बपौती बन चुकी हैं और नियम-कायदे उनके लिए कोई मायने नहीं रखते।
ज्यादातर डंपर बिना नंबर प्लेट के दौड़ते हैं, कुछ की नंबर प्लेट धूल से ढकी होती है, और कुछ के नंबर इतने खरोंचे जाते हैं कि पहचान ही नामुमकिन हो जाए। नतीजा? जब भी कोई हादसा होता है, ड्राइवर फरार हो जाता है और डंपर गुमनाम अंधेरे में समा जाता है।
बुधवार की शाम पिरान कलियर में भी एक बड़ा हादसा होने से टल गया। लेकिन कब तक? क्या अगली बार कोई भाग्यशाली रहेगा, या फिर कोई मासूम इन रफ्तार के दानवों की भेंट चढ़ जाएगा?

Don't Miss

error: Content is protected !!