रिपोर्ट:मनव्वर कुरैशी
रुड़की,25 दिसम्बर।सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन आशीर्वाद से रेलवे स्टेशन, बुचरी फाटक ढंडेरा, रुड़की में संत निरंकारी मिशन द्वारा एक भव्य खुले समागम का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति एवं दिव्यता के वातावरण में संपन्न हुआ। इस पावन अवसर पर चंडीगढ़ से पधारे ज्ञान प्रचारक महात्मा श्री पवन कुमार जी की हुजूरी में साध संगत ने आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति की।
महात्मा श्री पवन कुमार जी ने अपने गहन, भावपूर्ण एवं प्रेरक प्रवचनों में सतगुरु की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए फरमाया कि
“आत्ममंथन का एक ही सार है—सतगुरु ही आदर्श हैं और सतगुरु ही जीवन का सच्चा आधार।”
उन्होंने समझाया कि जब तक मनुष्य बाहरी दिखावे में उलझा रहता है, तब तक उसे सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। वास्तविक आनंद तभी संभव है जब मानव अपने अंतर्मन में झांककर सतगुरु के दिए हुए ज्ञान को जीवन में उतारता है।महात्मा जी ने आगे कहा कि सतगुरु कोई व्यक्ति मात्र नहीं, बल्कि वह दिव्य दृष्टि हैं जो हमें निराकार प्रभु की पहचान कराते हैं। सतगुरु की कृपा से ही अज्ञान का पर्दा हटता है, अहंकार का विसर्जन होता है और जीवन प्रेम, सहनशीलता एवं मानवता से भर उठता है। जब सतगुरु को जीवन का आधार बना लिया जाता है, तब हर परिस्थिति में स्थिरता, संतुलन और आनंद बना रहता है।
उन्होंने यह भी फरमाया कि आज के युग में आत्ममंथन अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि आत्मचिंतन से ही मनुष्य अपने दोषों को पहचान कर उन्हें दूर कर सकता है। सतगुरु का ज्ञान जीवन को केवल दिशा ही नहीं देता, बल्कि उसे उद्देश्यपूर्ण और सार्थक बनाता है।
समागम के दौरान साध संगत पूर्ण एकाग्रता के साथ प्रवचनों का रसपान करती रही। निरंकारी मिशन द्वारा दिए गए प्रेम, भाईचारे, समानता और विश्वबंधुत्व के संदेश से संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो गया। “सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की जय” के गगनभेदी जयकारों से स्थल गुंजायमान हो उठा।
कार्यक्रम के समापन पर ब्रांच मुखी श्री सागर कुकरेजा जी ने समागम में पधारी समस्त साध संगत, ज्ञान प्रचारक महात्मा जी तथा सेवा में लगे सभी सेवादारों का हृदय से आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजनों से समाज में सकारात्मक सोच, नैतिक मूल्यों और आपसी प्रेम की भावना प्रबल होती है।
मंच संचालन बाबू राम जी ने बहुत सुंदर रूप से किया, कार्यक्रम मे अनेक कवि, गीतकार, एवम भजन और विचारों का सहारा लेते हुए सतगुरु माता जी का आशीर्वाद प्राप्त किया, संत समागम मे रूड़की, भंगेडि, दुर्गा कॉलोनी, टोडा, खटका,लंढोरा, मिलाप नगर, सलेमपुर, शनकरपुरी, आदि क्षेत्रों से हज़ारों की संख्या मे पधारे,
यह भव्य समागम न केवल एक धार्मिक आयोजन रहा, बल्कि आत्मज्ञान, आत्ममंथन और सतगुरु के दिव्य संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम भी सिद्ध हुआ, जिसने प्रत्येक श्रद्धालु के मन में शांति, आनंद और प्रेरणा का संचार किया।
